होली पर निबंध | Essay on Holi in Hindi

Essay on Holi in Hindi : इस आर्टिकल के माध्यम से आप होली पर निबंध लिख सकते है | इस निबंध के माध्यम से आप उदेश्य,होली मनाने का समय, होली मनाने का कारण, होली का वर्णन, होली का महत्व, वर्तमान में होली का रूप, उपसंहार आदि के बारे में जान पायेंगे |

होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है | होली एक ऐसा रंग बिरंगा त्यौहार है, जिसे हिन्दुओं के साथ-साथ और भी धर्म के लोग मिल-जूल कर मनाते है | होली के दिन सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते है और एक दूसरे को मिठाई खिलाते है| होली के दिन लोग अपने घरो में तरह-तरह के पकवान बनाते है और एक दूसरे को खिलाते है | रंग और गुलाल से सजा यह त्यौहार एक दूसरे को एकता और भाईचारा का सन्देश देता है |

होली के दिन सभी लोग एक दूसरे से अपने पुरानी गिले-शिकवे भूला कर एक दूसरे को गले लगाते है और गुलाल लगाते है | बच्चे और युवा और कार्यरत लोग एक दिन पहले ही अपने स्कूल, ऑफिस , कारखाना में एक दूसरे को गुलाल लगाना शुरू कर देते है |


होली हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारो में से एक है | होली हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है | होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी से मार्च महीनो क बीच में मनाया जाता है | होली मुख्यत दो दिनों का होता है |

होली की शुरुवात होलिका दहन से होती है जिस दिन मुहूर्त के अनुसार शाम को उपले, कंडे, लकड़ी, धूप आदि को जलाकर होलिका दहन किया जाता है | होली के अगले दिन को धुलण्डी कहा जाता है, जिस दिन सुबह-सुबह अपने घर और आस-पास के मदिरों पर देवी-देवता को गुलाल और प्रसाद चढ़ाया जाता है | उसके बाद रंग- धुल के साथ लोग एक दूसरे को लगाते है और होली का त्यौहार मानाते है |

होली के दिन घर का महिलाएं तरह-तरह की पाकवन बनाते है और एक-दूसरे को सजोते है | शाम को फिर एकबार लोग नए-नए कपडे पहन-कर एक दूसरे के घर जाकर गुलाल लगाते है | होली के अवसर पर एक विशेष होली की गीत-संगीत होती है जिसके शुरुवात गाँव के मंदिरों से होती है और उसके बाद हर घर-घर घूम के होली की गीत-संगीत होती है |


हिरण्यकश्यप असुरों का राजा था जो अपने राज्य में अपने को भगवान मानता था | हिरण्यकश्यप का पुत्र पह्लाद विष्णु भगवान के अनन्य भक्त थे| ये बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी रास नहीं आती थी| हिरण्यकश्यप इस बार को लेकर अपने पुत्र पह्लाद का विष्णु की पूजा करने पर विरोध करता था और हमेशा नाराज रहता था |

हिरण्यकश्यप का कहना था कि जैसे राज्य की सभी प्रजा उसकी पूजा करती है वैसे ही पह्लाद भी उनकी पूजा करे | हिरण्यकश्यप ने इस बात को लेकर अपने पुत्र को कई बार चेतवानी दी थी कि अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसे कठोर से कठोर दंड भुगतने होंगे| लेकिन पह्लाद ने अपने पिता की कुछ भी ना सुनी और हमेशा भगवान विष्णु सके आराधना में लीन रहता था |

हिरण्यकश्यप ने बहुत बार अपने अपने पुत्र को मारने की प्रयास किया लेकिन वह हमेशा विफल रहता था | तमाम कोशीश के बाद पह्लाद को कुछ नहीं हुआ तो उसने अपनी बहन होलिका से मदत लेने की विचार किया | होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जला सकत है | पह्लाद को जलाने के लिए हिरण्यकश्यप ने आग की चिता बनाया और होलिका के गोद में पह्लाद को बिठाया |

आग से होलिका भस्म हो जाती है और पह्लाद बच जाते है| वरदान का गलत तरीके से इस्तेमाल करने के कारण वरदान निष्फल रहता है | भगवान के पूजा के शक्ति के कारण पह्लाद बच जाते है | विष्णु भक्त पह्लाद के याद में एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन ख़ुशी में रोग रंग खेलते है |


होली का त्यौहार होली के रात्रि से एक दिन पहले शुरू हो जाता है | लोग उपले और लकड़ी का ढेर लगाते है और शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करते है | इसी आग में लोग गेहूं की बाली भूनकर अपने अराध्य को चढाते है | होली के अगले दिन को धुलण्डी कहा जाता है, जिस दिन सुबह-सुबह अपने घर और आस-पास के मदिरों पर देवी-देवताको गुलाल और प्रसाद चढ़ाया जाता है |

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उसके बाद रंग- धुल के साथ लोग एक दूसरे को लगाते है और होली का त्यौहार मानाते है | होली के दिन घर का महिलाएं तरह-तरह की पाकवन बनाते है और एक-दूसरे को सजोते है | शाम को फिर एकबार लोग नए-नए कपडे पहन-कर एक दूसरे के घर जाकर गुलाल लगाते है | होली के अवसर पर एक विशेष होली की गीत-संगीत होती है जिसके शुरुवात गाँव के मंदिरों से होती है और उसके बाद हर घर-घर घूम के होली की गीत-संगीत होती है | इस प्रकार लोग होली मनाते है |


होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन परिवार के सभी सदस्य को उपटन लगाया जात है | ऐसा मान्यता है कि उबटन लागने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाता है | गाँव के सभी घर से कम से कम एक एक लकड़ी जलाने के लिए दिए जाते है | आग में लकड़ी जलने के साथ-साथ सभी विकार भी जलकर नष्ट हो जाता है |


वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योकि युवा लोग इसके महत्व ना समझ कर नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे है| आजकल के युवा होली के दिन तरह-तरह के नशा कर के बैठे रहते है| कुछ लोगो को इस नशा के कारण गंभीर नुकसान भी हो जाता है | इस दिन आपस में लड़ाई आम बात हो गई है |

लोग होली के दिन अपने दुश्मनी भुलाने के जगह दुश्मनी बढ़ा लेते है | आज कल युवा लोग रंग के जगह गोबर, नाले के पानी, पक्का रंग का इस्तेमाल करते है जो की होली के त्यौहार को धूमिल करता है | हमें लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता है |


होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिक माना जाता है| इस त्यौहार से सिख लेते हुए हमलोगों को अपनी बुराइयों को त्याग कर अच्छाई को अपनाना चाहिए | होली एक ऐसा त्यौहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन के सीमा से परे जाकर लोगो को भाई चारे का सन्देश देता है |

होली के दिन सभी-लोग अपने गिले-सिकवे भूलाकर एक दूसरे को गले लागते है | बर्तमान में भटके हुए युवावो को इस त्यौहार के महत्व और विशेषताओं के बारे में बताना चाहिए, ताकि उनके विचार बदले और इस त्यौहार की छवि कायम रहे| होली का त्यौहार हमें अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है | होली का त्यौहार सामाजिक सभ्दाव का प्रतिक है | इस त्यौहार के कारण लोगो में आपसी एकता का भावना प्रवल होती है |

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