Essay on Environmental Pollution in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

Essay on Environmental Pollution in Hindi : इस आर्टिकल के माध्यम से आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध आसानी से लिख पायेंगे | इस निबंध के माध्यम से आप प्रदूषण के स्वरूप, भूमि-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण, प्रदूषण रोकने के उपाय, आदि के बारें में निबंध लिख पायँगे |

Essay on Environmental Pollution in Hindi पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

Paryavaran Pradushan Par Nibandh


भूमिका

यो तो मनुष्य ने अपने विवेक बल से अपने जीवन को दिनों दिन सुखमय और कल्याणमय बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की उपलब्धियां अर्जित कर ली है  | इस दिशा में वह आगे बढ़ते हुए यह भूल गया है कि उसमें इस सुखद संसाधनों और स्वरूपों के कारण कुछ हानिकारक यहां तक की जीवन घटक रूपों प्रति रूपों को जन्म दे दिया है |

प्रदूषण के स्वरूप

वातावरण में व्याप्त और फैलते हुए प्रदूषण के रूप एक नहीं अनेक है | अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का मानना है कि भूमि, जल और वायु के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों से होने वाला कोई भी  अवक्ष्निये परिवर्तन ही प्रदूषण है | यह प्रदूषण हमारे जीवन-जगत, उद्योग, संस्कृति और प्रकृति को बड़ी हानि पहुंचती है

निरंतर बढ़ती जनसंख्या और वस्तुओं का उपयोग करने के पश्चात फेंक देने की प्रवृत्ति ने पर्यावरण-प्रदूषण को और भी अधिक विकरलता प्रदान की है | पर्यावरण प्रदूषण के रूप एक नहीं अपितु अनेक है, इन पर प्रकाश डालना विषय अनुकूल और प्रासंगिक होगी |

भूमि-प्रदूषण

भूमि-प्रदूषण हमारे जीवन को सबसे पहले दुष्प्रभावित करने वाला एक प्रमुख और शक्तिशाली प्रदूषण है | आज हमारे पर्यावरण में भूमि-प्रदूषण के मुख्य कारण है – बांध और रासायनिक उर्वरकों का अधिक से अधिक मात्रा में प्रयोग | हम अब या भली-भांति जानने लगे हैं कि बांध भूमि का अपक्षय करते हैं | यह भी हम जानते हैं कि उर्वरकों का प्रयोग अंततः भूमि के उपजाऊ तत्वों में कमी करता है |

भूमि-प्रदूषण

उर्वरकों का प्रयोग करते समय हम बिल्कुल या भूल जाते हैं की भूमि की उर्वरक शक्ति एक निश्चित और एक सीमा तक ही रहती है | फिर भी हम यह जानकर भी उर्वरकों की सहायता से भूमि की उर्वरा शक्ति और क्षमता का अधिक का अधिक दोहन करते ही रहते हैं |इसी प्रयास में हम प्रदूषण के कारक कीटनाशक दावों का प्रयोग करना नहीं छोड़ते है |

जल-प्रदूषण

जल-प्रदूषण विज्ञान को हाथों में लेकर आज मनुष्य ने अद्भुत और बेजोड़ शक्तिपूर्ण उद्योग-धंधों को शुरू कर दिया है |अंधाधुन मशीनीकरण इसका ही परिणाम है |इससे प्रदूषण का कुपरिणाम सामने आने लगी है | मिलो, फैक्ट्री और दूसरे उद्योग-धंधों से निकलने वाला कचरा नालो और नालियों में बह-बहकर कर नदियों और जलाशयों के जल को प्रदूषित करने में जरा भी नहीं ठहरता |

जल-प्रदूषण

यही कारण है की गंगा-यमुना जैसी विशाल नदिया दिनों-दिन प्रदूषण की चपेट में आने के कारण अपनी पवित्रता और शुद्धता को बरकरार रखने में असमर्थ हो रही है | जल-प्रदूषण को बढ़ाने में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग काम नहीं है | यह हम भली-भांति जानते हैं कि जल-प्रदूषण के कारण प्रदूषित जलपान से लगभग 70% बीमारियां उत्पन्न होती है | इनमें से अधिकांश बीमारियां तो बिल्कुल ही आशाधय होती है |

वायु-प्रदूषण

सच्चाई यह है कि वायु-प्रदूषण सबसे बड़ा और कुप्रभावशाली प्रदूषण है | इसका प्रभाव सबसे पहले और सबसे अधिक समय तक पड़ता है | भूमि-प्रदूषण और जल प्रदूषण दोनों ही वायु में निरंतर फैलने रहते हैं | फलत: शुद्ध और ताजी वायु का मिलना असंभव नहीं है, तो कठिन अवश्य हो जाता है |

वायु-प्रदूषण का एक कारण जनसंख्या का अत्यंत तेजी से बढ़ना भी है | एक अनुसंधान के अनुसार लगभग कार्बन डाइऑक्साइड 5 अरब टन प्रतिवर्ष दर से बढ़ रही है | मनुष्य के साथ पशु-पक्षी और अन्य प्राणी भी वायु-प्रदूषण के कारण शुद्ध वायु के लिए छटपटा रहे हैं | वैज्ञानिकों ने यह खोज है कि वायु प्रदूषण से समुद्र तटीय-क्षेत्र दुष्प्रभावित होने लगे हैं |

अंटार्कटिका जैसे शांत क्षेत्र में अब तूफानों की गिरफ्त में आ गया है | सी.एफ.सी गैस का बढ़ना जारी है | इसके ही दुष्प्रभाव से आज ओजोन की परत पतली होती जा रही है|  इसके कारण पराबैंगनी किरणें सीधे धरती पर आती है |  जो अंततः कैंसर अधिक भयानक बीमारियों का कारण बनती जा रही है|

वायु-प्रदूषण

वायु-प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक इकाइयां है ,वहीं परमाणु ऊर्जा पर आधारित बिजली घर और कारखाने भी हैं | इससे वायुमंडल में रेडियो धर्मी लहरे दुष्प्रभावित होती है | इससे बाहर निकलने वाली जैसे वायुमंडल को प्रदूषित करती है | इसके साथ-साथ वायु-प्रदूषण का भयानक परमाणु परीक्षण विस्फोट परमाणु शक्ति संचालित अंतरिक्ष अभियान भी प्रमुख कारण है | इनसे वायुमंडल अधिक प्रदूषित होकर आंदोलित होने लगा है |

प्रदूषण रोकने के उपाय

प्रदूषण के विकराल काल सुखी दुष्प्रभाव को रोकने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि प्रदूषण के कारणों का गला घोट कर दिया जाए | दूसरे शब्दों में भूमि-प्रदूषण के रूप के लिए यह आवश्यक है कि बांधों के लगातार निर्माण, बेशुमार वन-कटाव और रासायनिक उर्वरकों का सीमित और अपेक्षित प्रयोग हो |

जल-प्रदूषण की रोक-थाम के लिए यह आवश्यक है कि उद्योग के प्रदूषित जल को स्वच्छ जल से बचाए| वायु-प्रदूषण भी वायु प्रदूषण की रोक तभी संभव है, जब उद्योग-धंधों की दूषित वायु को वायुमंडल में फैलने ना दे | इसके लिए उद्योगों की चिमनियों पर उपयुक्त फिल्टर को लगाना चाहिए |

इसके अतिरिक्त परमाणु-ऊर्जा से उत्पन्न होने वाली वायु-प्रदूषण की रोक के लिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा-संघ का नियमों का शक्ति से पालन किया जाए | पर्यावरण-प्रदूषण की रोक-टोक जनसंख्या-वृद्धि पर अंकुश लगाकर ही की जा सकती है |

उपसंहार : Essay on Environmental Pollution in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

प्रदूषण हमारे लिए प्राण-घातक है | यह सृष्टि और प्रकृति के प्रति सरासर अन्याय और दुस्साहस है | इसलिए अगर इसके प्रति हम समय रहते हुए कोई भी गंभीर कदम नहीं उठाते हैं, तो यह कुछ समय बाद हमारे वस में नहीं रहेगा | फिर हमारेकठिन से कठिन प्रयासों को यह ठेंगा दिखाते हुए हमारे जीवन-लीला को देखते-देखते ही समाप्त कर देगा|

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