महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : नमस्कार, अगर आप महात्मा गांधी पर निबंध लिखना चाहते है तो इस पोस्ट को आवश्य पढ़े|

इस पोस्टके माध्यम से आप जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवनी, गाँधी जी की शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का योगदान, गांधी जी के आंदोलन, महात्मा गाँधी से सम्बंधित तथ्य, आदि के बारे में लिख सकते है|

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में Essay on Mahatma Gandhi in Hindi


महात्मा गाँधी का नाम सुनते ही हर किसी के मन में सत्य और अहिंसा के राह पर चलकर आजादी दिलाने का स्मरण होता है। जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा। महात्मा गाँधी महान व्यक्तित्व के राजनैतिक नेता थे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था।

गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे। उनके सम्पूर्णं जीवन में उनके इसी विचार की छवि प्रतिबिम्बित होती है। यहीं कारण है कि उन्हें 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र ने राष्ट्रपिता कहकर म्बोधित किया था।

जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवनी

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था। ये अपनी माता पुतलीबाई के अन्तिम संतान थे, जो करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थी। करमचंद गाँधी की पहली तीन पत्नियों की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी।

ब्रिटिश शासन के दौरान इनके पिता पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें। महात्मा गाँधी जी का जन्म के समय उनका नाम मोहनदास था और इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी। इसी कारण उनका नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था|

इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था, ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’’

गाँधी जी की शिक्षा

गाँधी जी ने प्रारम्भिक शिक्षा मिडिल स्कूल तक पोरबंदर में शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता की ट्रान्सफर राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी अपने विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्तर के विद्यार्थी नहीं थे।

इनकी पढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। हालांकि गाँधी जी एक एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे, किन्तु किसी किसी प्रतियोगिता और खेल में उन्होंने पुरुस्कार और छात्रवृतियॉ भी जीती। महात्मा गाँधी ने 21 जनवरी 1879 में राजकोट के एक स्थानीय स्कूल से अंकगणित, इतिहास और गुजराती भाषा का अध्यन किया।

गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उनके दोस्त भावजी दवे ने उन्हें वकालत करने की सलाह दी और कहा कि बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी होने के कारण उनका दीवानी का पद मिल जायेगा।

गाँधी जी ने आगे की पढाई के लिए विदेश जाने के लिए बोला जिसका उनके घरवालो ने विरोध किया लेकिन उन्होंने अपने माता से वादा किया कि वह विदेश में भी शाकाहारी भोजन करेंगे तब जाकर माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।

4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड गए और उन्होंने अपनी पढ़ाई बहुत गम्भीरता और मन लगाकर शुरुवात की। हालांकि, इंग्लैण्ड में गाँधी जी का शुरुआती जीवन परेशानियों से भरा हुआ था। उन्हें अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया।

गाँधी जी लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता कार्यकारी सदस्य भी रहे। यहाँ इनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई जिन्होंने गाँधी जी को भगवत् गीता पढ़ने को दी।

महात्मा गाँधी ने 1888 से 1891 तक बैरिस्टरी की पढाई की और इसके साथ-साथ वेजीटेरियन सोसायटी के सम्मेलनों में भाग भी लेते थे| महात्मा गाँधी ने पढाई पूरी होने के बाद 1891 में ये भारत लौट आये।

स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी का योगदान

स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी योगदान से ही आजदी मिल सकी| आजादी के लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और वह इसीपथ पर चलकर आजादी दिला पायें| उन्होंने मानवाधिकारों के लिए स्टैंड लिया और सत्य, अहिंसा और सामाजिक कल्याण की अपनी विचारधारा से लाखों भारतीयों को प्रेरित किया।

वह चंपारण सत्याग्रह (1917), खेड़ा सत्याग्रह (1917 -1918), खिलाफत आंदोलन (1919), असहयोग आंदोलन (1920), सविनय-अवज्ञा आंदोलन (1930), और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा थे।

गांधी जी के आंदोलन

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उनके स्वतंत्रता आंदोलनों ने सफलतापूर्वक भारत को आजादी दिलाई। उनके द्वारा चलाए गए सभी स्वतंत्रता आंदोलन केवल एक ही विचारधारा अहिंसा पर आधारित थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने हमें जो सबसे बड़ा सबक दिया वह था कभी हार न मानना और खुद को जिताने के लिए हिंसा को चुनना। गांधी जी के आंदोलन के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है।

असहयोग आंदोलन :  महात्मा गांधी ने 1920 में जालियावाला कांड के विरोध में असहयोग आंदोलन की शुरुवात की | महात्मा गांधी ने कांग्रेस की मदद से भारत की जनता को असहयोग आंदोलन शुरू करने के लिए राजी किया। आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ और यही वह विचारधारा है जिसका पालन महात्मा गांधी ने भारत में आजादी पाने के लिए किया।

असहयोग आंदोलन के दौरान लोगों ने ब्रिटिश सरकार के उत्पादों और उनके प्रतिष्ठानों जैसे स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों आदि का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। हालांकि, चौरी चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने आंदोलन समाप्त कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन : महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के समय सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत के लिए उत्प्रेरक का काम किया। मार्च 1930 में, गांधी और आश्रम के 78 अन्य सदस्य अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से गुजरात के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित एक गाँव दांडी के लिए पैदल निकले।

6 अप्रैल, 1930 गांधीजी ने नमक कानून का उल्लंघन किया और उसे तोड़ा। भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश सरकार का एकाधिकार था, इसलिए इसे अवैध माना जाता था। सविनय अवज्ञा आंदोलन को नमक सत्याग्रह की बदौलत महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ और नमक मार्च ब्रिटिश सरकार की नीति के प्रति नागरिकों के विरोध का प्रतिनिधित्व करता था।

 नमक आंदोलन: भारत को आजादी बहुत से अंदोलनों के बाद मिली, लेकिन उनमें से एक ऐसा आंदोलन हुआ था जिसने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ों को पूरी तरह से हिला दिया। इस आंदोलन का नाम था नमक आंदोलन। यह 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 के बीच गांधीजी ने जब नमक पर लगाए जाने कर के विरोध पर सत्याग्रह चलाया जिसको नमक आंदोलन

महात्मा गाँधी से सम्बंधित तथ्य

  • पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी
  • महात्मा गाँधी से सम्बंधित तथ्य
  • जन्म-तिथि और स्थान – 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात)
  • माता-पिता का नाम – पुतलीबाई, करमचंद गाँधी
  • पत्नी – कस्तूरबा गाँधी
  • शिक्षा – 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,
  • विद्यालय – बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज
  • इंग्लैण्ड यात्रा – 1888-91
  • बच्चों के नाम – हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
  • प्रसिद्धि का कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
  • राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
  • स्मारक – राजघाट, बिरला हाऊस (दिल्ली)
  • मृत्यु – 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

आशा करताहूँ इस आर्टिकल के माध्यम से आप आसानी से महात्मा गांधी पर निबंध लिख पाए होंगे| आप हमें कमेंट्स के माध्यम से हमें यह आर्टिकल कैसा लगा आवश्य बताएं|

Gramin Jeevan par Nibandh | ग्रामीण जीवन पर निबंध

Essay on Television in Hindi | टेलीविजन पर निबंध

Leave a Comment