अगर आप पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi) तो इस आर्टिकल के माध्यम से आसानी से पुस्तकालय पर निबंध लिख सकते है | इस निबंध में पुस्तकालय कि भूमिका, व्युत्पत्ति, प्रकार, लाभ आदि के बारे में लिख पायेंगे |
भूमिका : pustakalaya ka mahatva nibandh
जिस प्रकार सन्तुलित आहार से हमारी देह पुष्ट होती है, उसी प्रकार मानसिक विकास लिए अध्ययन तथा स्वास्थ्य का बड़ा महत्त्व है। इस संसार में ज्ञान के समान कोई अन्य वस्तु पवित्र नहीं। ज्ञान के अभाव में मानव तथा पशु में कोई अन्तर नहीं होता। ज्ञान ही ईश्वर है तथा सत्य एवं आनन्द है। ज्ञान प्राप्त करने के अनेक साधन है।
इनमें सत्संग, देशाटन तथा सद्यन्यों का अध्ययन है। इन सब में पुस्तकों को ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन माना गया है। पुस्तकें ज्ञान राशि के अथाह भंडार को अपने में संचित किए रहती हैं। इनके द्वारा घर बैठे हजारों वर्षों के सग्रन्थों की प्राप्ति होती है जो हमें पुस्तकालयों से होती है। इनमें हम विज्ञान से परिचित हो सकते हैं।
पुस्तकालय शब्द कि व्युत्पत्ति
पुस्तकालय दो शब्दों के योग से बना है-पुस्तक + आलय । इसका शाब्दिक अर्थ है-पुस्तकों का घर । केवल पुस्तकों को एक स्थान पर एकत्रित करने अथवा एक कमरे में भर देने से पुस्तकालय नहीं बन जाता। पुस्तकालय तो एक ऐसा स्थान है जिसके उपयोगादि का सुनियोजित विधान होता है।
पुस्तकालय के प्रकार
पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। इनमें से प्रथम प्रकार के पुस्तकालय वे हैं जो विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में विद्यमान हैं। दूसरे प्रकार के निजी पुस्तकालय हैं, जिनके स्वामी तथा उपयोग करने वाले प्रायः एक ही व्यक्ति होते हैं। अध्यापकों, वकीलों, डॉक्टरों, साहित्यकारों, राजनीतियों तथा अन्य ज्ञान पिपासुओं एवं धनाढ्यों के पुस्तकालय इसी श्रेणी में आते हैं।
तीसरे प्रकार के पुस्तकालय वर्गगत होते हैं-इनका स्वामी कोई सम्प्रदाय या वर्ग होता है। इन पुस्तकालयों का प्रयोग केवल इन्हीं सम्प्रदायों अथवा संस्थाओं से संबद्ध व्यक्ति कर पाते हैं। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। ये भी प्रायः संस्थागत अथवा राजकीय होते हैं। इनका सदस्य कोई भी हो सकता है। ये भी दो प्रकार के हो सकते हैं-स्थायी एवं चलते-फिरते।
इसके अतिरिक्त चल व्यापारिक पुस्तकालय भी होते हैं, जो बसों या रेलगाड़ियों में होते हैं। इन सबके अतिरिक्त राजकीय पुस्तकालय भी होते हैं, जिनकी व्यवस्था सरकार द्वारा होती है तथा इनका प्रयोग विशेष व्यक्तियों तक सीमित होता है। ये जन-साधारण की पहुँच से बाहर होते हैं।
पुस्तकालय से लाभ
पुस्तकालय से अनेक लाभ हैं। ये ज्ञान का सक्षम भण्डार हैं। पुस्तकालय एक ऐसा स्रोत है, जहाँ से ज्ञान की निर्मल धारा सदैव बहती रहती है। रामचन्द्र शुक्ल ने ठीक कहा है- “पुस्तकों के द्वारा हम किसी महापुरुष को जितना जान सकते हैं, उतना उनके मित्र क्या पुत्र तक भी नहीं जान सकते।” एक ही स्थान पर विभिन्न भाषाओं, धर्मों, विषयों, वैज्ञानिकों, आविष्कारों और ऐतिहासिक तथ्यों से सम्बन्धित पुस्तकें केवल पुस्तकालय में ही उपलब्ध हो सकती हैं।
पुस्तकालय के द्वारा हम आत्मबुद्धि तथा आत्म-परिष्कार कर सकते हैं। पुस्तकों से एक ऐसी ज्ञान-धारा बहती है, जो हमारे हृदय तथा मस्तिष्क का विकास करती है। एकान्त तथा शान्त वातावरण में अध्ययनशील होकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान की अनेक मणियाँ प्राप्त कर सकता है। इस स्थान पर विभिन्न देश तथा कालों के अमूल्य अप्राप्य ग्रन्थ, सुलभता से मिल सकते हैं। पुस्तकों के अध्ययन से हमारा सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है।
आधुनिक महँगाई और निर्धनता में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अधिक ग्रन्थों का क्रय करना संभव नहीं है। पुस्तकालयों में नाममात्र का शुल्क देकर अथवा मुफ्त सदस्यता प्राप्त करके अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तकालय में जाकर हमारा पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। यहाँ हम अपने अवकाश के क्षणों का सदुपयोग कर सकते हैं, पुस्तकालय में बैठने से अध्ययन वृति को बढ़ावा मिलता है तथा गहन अध्ययन संभव होता है। महात्मा गाँधी कहा करते थे- “भारत के प्रत्येक घर में पुस्तकालय होना चाहिए।”
पुस्तकालय सामाजिक महत्त्व की जगह है। अतः यहाँ के ग्रन्थों को बरबाद नहीं करना चाहिए। पुस्तकें समय पर लौटनी चाहिए तथा उनके पृष्टों को गन्दा नहीं करना चाहिए और न ही पृष्ठ फाड़ने अथवा चित्र काटने चाहिए। पुस्तकालय में बैठ कर शान्तिपूर्वक अध्ययन करना चाहिए। पुस्तक जहाँ से निकाली है, अध्ययनोपरान्त पुस्तक वहीं रख दी जानी चाहिए।
उपसंहार : पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi)
आज हमारे देश में अनेक पुस्तकालय हैं परन्तु अभी भी अच्छे पुस्तकालयों की बहुत कमी है। इस अभाव को दूर करना सरकार का कर्त्तव्य है। अशिक्षा, निर्धनता अधिकारियों की उपेक्षा आदि के कारण हमारे देश में पुस्तकालयों की हीन दशा है। पुस्तकालयों का छात्रों के लिए विशेष महत्त्व है। अच्छे पुस्तकालय राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अतः सरकार तथा अन्य संस्थाओं को चाहिए कि अच्छे पुस्तकालयों की स्थापना करें। पुस्तक के महत्त्व पर लोकमान्य तिलक ठीक ही कहा करते थे-‘मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि पुस्तकें जहाँ होंगी। वही स्वर्ग आ जाएगा।
पुस्तकालय पर निबंध 10 लाइन | पुस्तकालय पर निबंध 100 words
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