इस आर्टिकल के माध्यम से आप युवा वर्ग और बेकारी की समस्या पर निबंध (Essay on Youth and Unemployment Problem in Hindi) आसानी से 1000 शब्दों में लिख पायेंगे |
भूमिका– यों तो हमारे देश में विभिन्न प्रकार की समस्याएं है। ये सभी समस्याएं बहुत ही जटिल विकट है। दहेज प्रथा की समस्या, सती-प्रच सभी समस्या, बाल-विवाह की समस्या, मूल्य-वृद्धि की समस्या आदि समन्यथा की समान बेकारी की समस्या आज एक बहुत बड़ी ज्वलंत समस्या बन गई है।
हालांकि इस समस्या ने विश्व के अधिकांश देशों को प्रभावित किया है, तथापि हमारे देश को तो इसने नाकोदम कर रखा है। इस समस्या ने हमारे युवावर्ग के अन्तःकरण को मथ-मथ करके उसे इतना अशान्त बना डाला है कि वह पथ भ्रष्ट होने के सिवाय और कुछ नहीं कर पाता है।
स्वरूप– हमारे देश में बेकारी के तीन स्वरूप हैं-अशिक्षित बेकारी, शिक्षित बेकारी और प्रशिक्षित बेकारी। इन तीनों प्रकार की बेकारी से पृथक् एक और प्रकार की बेकारी है। वह है- अर्द्ध बेकारी । अर्द्ध बेकारी से तात्पर्य उस बेकारी से है, जो कुछ समय काम करने के बाद बेकारी की श्रेणी में आ जाती है।
सबसे भिन्न और अद्भुत बेकारी वह होती है, जिसके अन्तर्गत ऐसे युवा-वर्ग आते हैं, जिन्हें अपनी योग्यता के अनुरूप काम नहीं मिला। फलतः अब ऐसी मजबूरी में काम करने लगते हैं, जिससे वे पूर्णरूप सन्तुष्ट नहीं होते है। कारण-युवा बेकारी के कारण क्या हैं ? इसके उत्तर में मात्र इतना ही कहना समुचित है कि इसके कारण अनेक है। इसके कारणों के विषय में विचारकों के मत एक नहीं है। कुछ विचारकों का विचार है कि बेरोकटोक गते से बढ़ती हुई जनसंख्या ही इसका मुख्य कारण है।
दूसरे विचारकों यह मानना है कि जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में काम या रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाती है। इसलिए बेकारी स्वाभाविक रूप से निरन्तर बढ़ती ही जा रही है। युवा-बेकारी का एक प्रमुख कारण है-शिक्षा-व्यवस्था रोजगारोन्मुख व होना। आज की शिक्षा-व्यवस्था की विडम्बना यह है कि इस से युवा-वर्ग डिग्री-डिप्लोमा हासिल करके सेवा-पद और कार्य के अनुकूल स्वयं को योग्य सिद्ध नहीं कर पाता है।
जहाँ तक पद-स्थान की बात है-तो यह यह है कि विज्ञान के प्रभाव से कम्प्यूटर जैसे रोजगारपूरक आविष्कारों के फलस्वरूप सौ-सौ आदमियों के स्थान पर एक ही आदमी किसी काम भलीभाँति सम्भाल और पूरा कर लेता है। यही कारण है कि दिनों-दिन रिक्तियों की संख्या घटने लगी। उधर बेतहाशा बढ़ती हुई आबादी के कारण युवा-वर्ग की बेकारी दिनों-दिन बेकाबू होती गई है। रोजगारप्रदक शिक्षा-व्यवस्था के न होने से युवा-मन शिक्षा से मुँह मोड़े रहता है। समुचित रोजगार अथवा कोई समुचित सेवा-पद न मिल पाने से आज का अधिकांश युवा-वर्ग का शिक्षा से मोह-भंग होने लगा है।
युवा-वर्ग की बेकारी कारणों में एक अन्य कारण यह है कि शिक्षा-व्यवस्था और इससे सम्बन्धित चालू होने वाली योजनाओं में वास्तविक तालमेल और तारतम्यता नहीं बन पाती है। यदि दोनों में तालमेल और तारतम्यता हो जाए, तो बेकारी कोई कारण बनकर के नहीं रह जाएगी। युवा-वर्ग की बेकारी का एक सूक्ष्म कारण यह है कि हमारे देश में घरेलू उद्योग-धन्धों के दिन लदते गए। हमारे युवा-वर्ग में अंधानुकरण मुख्य रूप से विदेशीकरण के प्रति दिनों-दिन रुझान बढ़ने लगा है। फलतः वह दिशाहीन होकर न घर का और न घाट का ही रह जाता है।
प्रभाव-बेकारी की समस्या हमारे देश की एक ऐसी भयंकर समस्या बन गई है कि इससे निजात पाना बहुत असंभव नहीं तो बहुत कठिन अवश्य लगता है। इससे हमारे देश में दिनोंदिन आराजकता, भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता का वातावरण बनता जा रहा है। इस समस्या ने हमारे देश की नीति, व्यवस्था, पद्धति को खोखला बनना शुरू कर दी है। युवा-वर्ग की बढ़ती हुई बेकारी से ही आज अनेक युवक चोरी, डकैती, हिंसा, उपद्रव, आत्महत्या जैसे घृणित कुकृत्यों में संलिप्त और संलग्न हो रहे हैं। इसी प्रकार युवा-वर्ग की बेकारी ने ही समाज में अपराधों की संख्या में वृद्धि करनी शुरू कर दी है। फलतः सभी पीड़ित और अशान्त होकर इस समस्या के समाधान के लिए कोई कारगार उपाय की अपेक्षा करने लगे हैं।
वस्तुतः इस समस्या ने हजारों-लाखों युवाओं को अनिश्चित और दिशाहीन अंधेरी गली में भटकाना शुरू कर दिया है। आज बेकार युवा-वर्ग से भरा-पूरा परिवार विभिन्न प्रकार के मानसिक उत्पीड़न भरी जिन्दगी जीने के लिए विवश और किंकर्त्तव्य-विमूढ़ हो रहा है, उनकी विवशता और किंकर्त्तव्य-विमूढ़ता का मुख्य कारण यही होता है कि बेकार युवा-वर्ग से केवल परिवार संतप्त और उत्पीड़न होता रहता है, अपितु आस-पास का समाज भी इस प्रकार की कठिनाइयों से बच नहीं पाता है।
समाधान– युवा-वर्ग की बेकारी की समस्या के समाधान उनके कारणों के समान एक नहीं अनेक हैं। युवा-वर्ग की बेकारी की समस्या के समाधान की दिशा में पहला कदम यह होना चाहिए कि शिक्षा को रोजगारपूरक और रोजगारोन्मुख होना चाहिए। शिक्षा में औद्योगिक शिक्षा को स्थान देना महत्त्वपूर्ण कदम होगा। घरेलू दस्तकारियों सहित अन्य उद्योग-धन्धों (कुटीर उद्योग-धन्धों) को त्थान देना एक अत्यन्त आवश्यक कदम होगा। शिक्षा व्यवस्था और इससे सम्बन्धित योजनाओं में तालमेल बैठाने युवा वर्ग की बेकारी को दूर करने में बहुत अपेक्षित उपाय होगा।
युवा-वर्ग की बेकारी को दूर करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण रखना नितान्त आवश्यक है। युवा-वर्ग को उनके रुचिप्रद कार्यों के अनुसार उन्हें उसमें लगाने के लिए हर प्रकार प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उनके मत की भटकन और असंतोष के भाव छिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
उपसंहार-युवा-वर्ग की बेकारी युगानुरूप है। इसके समाधान के लिए इसके कारणों और स्वरूपों सहित इसके प्रभावों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन-मनन बहुत आवश्यक है। अगर इस के प्रति लापरवाही के ऐसे दौर चलते रहेंगे, तो यह भयानक समस्या सुरसा के समान समाज और राष्ट्र की गति किस प्रका अवरुद्ध कर देगी, कुछ भी कहना बहुत कठिन है|
इस प्रकार आप आसानी से युवा वर्ग और बेकारी की समस्या पर निबंध | Essay on Youth and Unemployment Problem in Hindi लिख सकते है |
विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध 1000+ शब्द | Vigyan Vardan ya Abhishap