जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ तथा स्वस्थ शरीर के महत्व को नकारता है तथा ईश्वर के इस वरदान का निरादर करता है |
वह अपना ही नहीं समाज तथा राष्ट का भी अहित करता है | स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ स्वष्ट मस्तिक का निवास हो सकता है |
जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ तथा स्वस्थ शरीर के महत्व को नकारता है तथा ईश्वर के इस वरदान का निरादर करता है | वह अपना ही नहीं समाज तथा राष्ट का भी अहित करता है | स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ स्वष्ट मस्तिक का निवास हो सकता है |
व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ तथा काम करने योग्य बनाये रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है |
व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ तथा काम करने योग्य बनाये रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है |
व्ययाम से ना केवल हमारा शरीर पुष्ट होता है , अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है, रोगी शरीर में स्वस्थ मन निवास नहीं कर सकता, यदि मन स्वस्थ न हो, तो विचार भी स्वस्थ नहीं हो सकते |
व्ययाम से ना केवल हमारा शरीर पुष्ट होता है , अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है, रोगी शरीर में स्वस्थ मन निवास नहीं कर सकता, यदि मन स्वस्थ न हो, तो विचार भी स्वस्थ नहीं हो सकते |